PM Modi: ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव से भारत भी सतर्क, पीएम ने उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई, डोभाल और अमित शाह पहुंचे
PM Modi: पश्चिम एशिया में ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते तनाव ने भारत को भी चौकन्ना कर दिया है। इसी के चलते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय कैबिनेट सुरक्षा समिति (Cabinet Committee on Security) की आपात बैठक बुलाई। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य पश्चिम एशिया में हो रहे ताजा घटनाक्रमों पर चर्चा करना और भारत पर इसके संभावित प्रभावों का आकलन करना था। बैठक में गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी उपस्थित थे।
पश्चिम एशिया में बढ़ता संकट
पश्चिम एशिया हमेशा से वैश्विक राजनीति और भू-रणनीति के केंद्र में रहा है। ईरान और इज़राइल के बीच हालिया तनाव ने इस क्षेत्र में एक नई अनिश्चितता पैदा कर दी है। ईरान द्वारा इज़राइल पर हमले की संभावना और उसकी तीव्र प्रतिक्रिया ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय में चिंता बढ़ा दी है। भारत, जो इस क्षेत्र के देशों के साथ मजबूत आर्थिक और राजनीतिक संबंध रखता है, इस विकास से प्रभावित हो सकता है। ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ती हिंसा न केवल इस क्षेत्र की स्थिरता के लिए खतरा है, बल्कि इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था और ऊर्जा आपूर्ति पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
कैबिनेट सुरक्षा समिति की बैठक का उद्देश्य
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े विभिन्न मुद्दों पर गहन विचार-विमर्श हुआ। इसमें विशेष रूप से पश्चिम एशिया के वर्तमान संकट पर ध्यान केंद्रित किया गया। बैठक में इस क्षेत्र में बढ़ते तनाव का भारत की ऊर्जा सुरक्षा, कच्चे तेल की आपूर्ति और अन्य आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति पर क्या प्रभाव पड़ेगा, इस पर चर्चा की गई।
भारत का पश्चिम एशिया के साथ मजबूत आर्थिक संबंध हैं, खासकर ऊर्जा के क्षेत्र में। भारत का अधिकांश कच्चा तेल आयात इस क्षेत्र से होता है, और किसी भी तरह की अशांति या आपूर्ति में बाधा भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भारत की ऊर्जा आपूर्ति प्रभावित न हो और इसके लिए उचित रणनीति तैयार की जा सके।
ईरान-इज़राइल तनाव पर चर्चा
बैठक में ईरान और इज़राइल के बीच हालिया हमलों और हिंसक संघर्षों पर विशेष चर्चा की गई। ईरान द्वारा इज़राइल पर संभावित हमले की चर्चा ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खलबली मचा दी है। बैठक में इस बात पर भी विचार हुआ कि यदि यह संघर्ष और बढ़ता है, तो इसका भारत और उसके नागरिकों पर क्या प्रभाव पड़ सकता है, खासकर उन भारतीयों पर जो पश्चिम एशिया में काम कर रहे हैं।
भारत ने इस तनावपूर्ण स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और सभी पक्षों से अपील की कि वे बातचीत और कूटनीति के माध्यम से अपने मतभेदों को सुलझाएं। भारत का मानना है कि इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बहाल करने के लिए सभी संबंधित पक्षों को संयम बरतना चाहिए।
भारत की ऊर्जा सुरक्षा पर खतरा
भारत की ऊर्जा सुरक्षा का एक बड़ा हिस्सा पश्चिम एशिया पर निर्भर करता है। अगर इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता है और इज़राइल-ईरान के बीच युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसका सीधा असर भारत की ऊर्जा आपूर्ति पर पड़ सकता है। कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भारी दबाव पड़ेगा। इसके अलावा, अन्य आवश्यक उत्पादों की आपूर्ति में भी बाधा आ सकती है।
बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि भारत को अपनी ऊर्जा आपूर्ति को सुरक्षित रखने के लिए वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करनी चाहिए और वैश्विक ऊर्जा बाजार में होने वाले किसी भी बदलाव के लिए तैयार रहना चाहिए। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया कि देश के भीतर ऊर्जा संसाधनों के विकास पर जोर दिया जाए ताकि भविष्य में इस तरह के संकट से बचा जा सके।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भारत की अपील
बैठक के बाद भारत ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विशेष रूप से पश्चिम एशिया के सभी संबंधित पक्षों से अपील की कि वे शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए कूटनीति का रास्ता अपनाएं। भारत ने इस बात पर जोर दिया कि संघर्ष से किसी भी पक्ष को लाभ नहीं होगा और इसका असर वैश्विक शांति और सुरक्षा पर पड़ेगा।
भारत ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह पश्चिम एशिया में शांति की बहाली के लिए अंतरराष्ट्रीय प्रयासों का समर्थन करता है और किसी भी तरह की हिंसा को रोकने के लिए सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील करता है।
भारतीय नागरिकों की सुरक्षा
बैठक में इस बात पर भी चर्चा की गई कि पश्चिम एशिया में रहने वाले भारतीय नागरिकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए। लाखों भारतीय इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं और उनकी सुरक्षा भारत सरकार की प्राथमिकता है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो भारत सरकार को आपातकालीन निकासी योजनाओं को तैयार रखना होगा ताकि अपने नागरिकों को सुरक्षित वापस लाया जा सके।
इसके अलावा, विदेश मंत्रालय ने भारतीय नागरिकों को सलाह दी है कि वे पश्चिम एशिया में यात्रा करते समय सतर्क रहें और किसी भी अप्रिय घटना से बचने के लिए स्थानीय प्रशासन और भारतीय दूतावास के निर्देशों का पालन करें।
पश्चिम एशिया में भारत की भूमिका
भारत पश्चिम एशिया के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध रखता है। इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखना न केवल भारत के हित में है, बल्कि यह वैश्विक शांति के लिए भी आवश्यक है। भारत ने हमेशा मध्यस्थता और शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन किया है और वर्तमान संकट के समाधान के लिए भी यही मार्ग अपनाने की अपील की है।
भारत के लिए पश्चिम एशिया में स्थिरता न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि वहां रहने वाले भारतीय प्रवासी समुदाय के लिए भी आवश्यक है। भारत के पश्चिम एशियाई देशों के साथ मजबूत व्यापारिक और कूटनीतिक संबंध हैं, और इस क्षेत्र में किसी भी तरह की अशांति का सीधा असर भारत पर पड़ सकता है।